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Lockdown:कोरोना ने बदल दिया शिक्षा का तरीका, शारीरिक दूरी के साथ चल रहीं वर्चुअल कक्षाएं
मंगलवार, 28 अप्रैल 2020
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कोरोना के संकट ने दुनिया में बहुत कुछ बदल दिया है। यहां तक कि शिक्षा भी इससे अछूती नहीं रही है। शारीरिक दूरी के साथ वर्चुअल कक्षाएं चल रही हैं। अभी तो विषम परिस्थितियों में इसे वैकल्पिक प्रणाली के रूप में प्रारंभ किया गया है। सवाल है कि क्या यह भविष्य की तस्वीर तो नहीं। यदि ऐसा हुआ तो इस परिवर्तन को हमारा देश कैसे अंगीकार करेगा। क्या अब स्कूल चलाने के लिए भारी-भरकम इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं होगी? क्या हमारे बच्चे पठन-पाठन की इस संस्कृति के प्रति तैयार होंगे? क्या आनलाइन पढ़ाई के लिए सभी कक्षाओं के कोर्स में भी बदलाव लाए जा सकते हैं? प्रैक्टिकल का क्या होगा? परीक्षाएं कैसे ली जाएंगी? ये बहुत से प्रश्न मन में उभरने लगते हैं।
भारत में यह प्रणाली वैकल्पिक व्यवस्था तो हो सकती है लेकिन, यह कहना कि वर्चुअल क्लासेज वास्तविक शिक्षा का स्थान ले लेंगी। जल्दबाजी होगी। अभी हमारे बच्चे और अभिभावक इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं। दूसरी बात यह कि वास्तविक शिक्षा की बात ही अलग है। वहां अध्यापक और बच्चों के बीच निकटता का संबंध रहता है। उसकी भरपाई ऑनलाइन कक्षाएं नहीं कर सकतीं।
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है वास्तविक शिक्षा
वास्तविक शिक्षा बच्चों के लिए हर प्रकार से हितकारी है। यहां बच्चे अध्यापक के सीधे संपर्क में रहते हैं। अध्यापक की नजर बच्चे पर रहती है। पढ़ाई के साथ उन्हें विद्यालय कैंपस में अन्य बहुत सी गतिविधियों में हिस्सा लेने का अवसर मिलता है। जिससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस सबसे उनका सर्वांगीण विकास हो पाता है। वहीं ऑनलाइन क्लासेज से बच्चे पढ़ाई तो कर सकते हैं, लेकिन अध्यापक की निकटता और उन गतिविधियों से वंचित हो जाते हैं
लॉकडाउन बढ़ा तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर होगा एग्जाम
फिलहाल तो प्रैक्टिकल के विषय में टीचर्स बच्चों को इस विषय में वीडियो के माध्यम से ही समझा रहे हैं, लेकिन प्रैक्टिकल एग्जाम आभासी कभी नहीं हो सकते। लॉक डाउन खुलने पर ही इन्हें लिया जा सकेगा। वहीं परीक्षाओं को लेकर सीबीएसई ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि लॉक डाउन बढ़ता है तो सिलेबस कम किया जाएगा। इसके साथ ही एग्जाम प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर एमसीक्यू पद्धति से लिए जाएंगे।
भारत में यह प्रणाली वैकल्पिक व्यवस्था तो हो सकती है लेकिन, यह कहना कि वर्चुअल क्लासेज वास्तविक शिक्षा का स्थान ले लेंगी। जल्दबाजी होगी। अभी हमारे बच्चे और अभिभावक इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं। दूसरी बात यह कि वास्तविक शिक्षा की बात ही अलग है। वहां अध्यापक और बच्चों के बीच निकटता का संबंध रहता है। उसकी भरपाई ऑनलाइन कक्षाएं नहीं कर सकतीं।
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है वास्तविक शिक्षा
वास्तविक शिक्षा बच्चों के लिए हर प्रकार से हितकारी है। यहां बच्चे अध्यापक के सीधे संपर्क में रहते हैं। अध्यापक की नजर बच्चे पर रहती है। पढ़ाई के साथ उन्हें विद्यालय कैंपस में अन्य बहुत सी गतिविधियों में हिस्सा लेने का अवसर मिलता है। जिससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस सबसे उनका सर्वांगीण विकास हो पाता है। वहीं ऑनलाइन क्लासेज से बच्चे पढ़ाई तो कर सकते हैं, लेकिन अध्यापक की निकटता और उन गतिविधियों से वंचित हो जाते हैं
लॉकडाउन बढ़ा तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर होगा एग्जाम
फिलहाल तो प्रैक्टिकल के विषय में टीचर्स बच्चों को इस विषय में वीडियो के माध्यम से ही समझा रहे हैं, लेकिन प्रैक्टिकल एग्जाम आभासी कभी नहीं हो सकते। लॉक डाउन खुलने पर ही इन्हें लिया जा सकेगा। वहीं परीक्षाओं को लेकर सीबीएसई ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि लॉक डाउन बढ़ता है तो सिलेबस कम किया जाएगा। इसके साथ ही एग्जाम प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर एमसीक्यू पद्धति से लिए जाएंगे।
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